Winter vegetables in India

 यद्यपि भारत एक जैविक एवं भौगोलिक विविधताओं वाला देश है जहां एक ही समय भिन्न-भिन्न क्षेत्रों में भिन्न-भिन्न जलवायु संबंधी परिस्थिति हो सकती हैं।किंतु उत्तर भारत के मैदानी क्षेत्रों में अभी शरद ऋतु का  प्रादुर्भाव हो चुका है और यह नई फसल बोने  के लिए एक बेहतर समय है।सर्दियां आने वाली है।बरसात खत्म होने के बाद अब खेतों में पानी प्राय सूख चुका हैऔर सरसों सहित शीतकालीन फसल बुवाई की तैयारी जारी है। खास तौर पर शरदकालीन सब्जियों की बुवाई भी सितंबर-अक्टूबर माह में सबसे उपयुक्त मानी जाती है।यह आलेख न केवल शौकिया तौर पर किचन गार्डनिंग करने वालों के लिए बल्कि व्यावसायिक पैमाने पर सब्जी उत्पादन के लिए भी अत्यंत उपयोगी है।


यहाँ कुछ सामान्य स्टेप्स हैं जो आपको सर्दियों की सब्जियाँ उगाने में मदद कर सकते हैं:

  • बीज़ चुनाव: सबसे पहला कदम है सही बीज़ का चयन करना। उच्च गुणवत्ता वाले और स्थानीय बीज़ चुनना शुभ रहता है।

  • खेत की तैयारी: एक अच्छी खेत की तैयारी जैसे कि उपजाऊ मिट्टी, उर्वरक, और खाद्य सामग्री का सही समय पर इस्तेमाल करना जरूरी है।

  • सिंचाई और जल संचयन: सिंचाई की अच्छी प्रणाली बनाना जरूरी है। समय पर सिंचाई करना और जल संचयन की सुविधा उपलब्ध कराना महत्वपूर्ण है।

  • रोग और कीटनाशकों का प्रबंधन: सर्दियों की सब्जियों को कीटों और रोगों से बचाने के लिए निर्दिष्ट  और जैविक उपायों का पालन करना चाहिए।

  • सही समय पर विपणन : सब्जियों का उत्पादन होने पर सही समय पर उन्हें बेचना या हार्वेस्टिंग महत्वपूर्ण है।


जाड़े में कई प्रकार की सब्जियाँ भारत में उगाई जा सकती हैं जो किसानों को प्रॉफिट कमाने में मदद कर सकती हैं। जाड़े में उगाने वाली कुछ सुरक्षित और लाभकारी सब्जियाँ निम्नलिखित हो सकती हैं:

  • गोभी (Cauliflower): गोभी जाड़े में उगाने के लिए अच्छी होती है और अगर आप इसकी सही खेती करते हैं तो यह अच्छा प्रॉफिट दे सकती है।किंतु श्रम संसाधन एवं पूंजी का निवेश इसमें कुछ अधिक होता है।अच्छा मुनाफा कमाना है तो निवेश करना पड़ेगा।अगस्त माह में नर्सरी में लगाए गए सीड्स से जो पौधे तैयार हो गए हैं उन्हें अक्टूबर तक खेतों में लगाया जा सकता है। तैयार पौधों को50 सेमी ×50 सेमी की दूरी पर लगाना चाहिए। जो बीज अक्टूबर महीने में नर्सरी में बोया जाएगा वह रोपाई के लिए नवंबर में तैयार होगाऔर नवंबर के अंत में खेतों में 50 सेमी × 50 सेमी की दूरी  पर लगाया जाएगा।सड़ी हुई गोबर की खाद 4 क्विंटल /कट्ठा ,NPK उर्वरक 6 किलोग्राम /कट्ठा खेत की तयारी के समय डालें।




  • शलरी (celery): शलरी की खेती भी ठंडे में की जा सकती है और इससे अच्छा प्रॉफिट किया जा सकता है।हिंदी में इसे अजमोद कहते हैं। यह भारत केग्रामीण क्षेत्रों में कम प्रचलित है किंतु नगरों एवं महानगरों में इसकी मांग है।क्योंकि यह एक विदेशी मूल की सब्जी है जिसे भारत में भी शीत ऋतु में उपजाया जा सकता है।इसे खेतों,किचन गार्डन अथवा गमले में भी लगाया जा सकता है।स्थानीय स्तर पर इसके बीज उपलब्ध न हो तो यहां से लें

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  • गाजर (Carrots): गाजर का उत्पादन ठंडे में किया जा सकता है और यह एक लाभकारी सब्जी हो सकती है।इसकी खेती मध्य अक्टूबर से नवंबर तक कर सकते हैं। प्रति हेक्टेयर 5 किलोग्राम बीज़ की जरूरत होती है। खाद एवं उर्वरक मूली के समान ही दें और मृदा का चयन भी उसी के समान करें।


  • मूली (Radish): मूली की खेती भी जाड़े में की जा सकती है और यह जल संचारित जगहों में अच्छा उत्पादन दे सकती है।बीज़ 4.5 kg/हेक्टर और कंपोस्ट 150 क्विंटल/हेक्टर के अतिरिक्त एनपीके खाद दो क्विंटल प्रति हेक्टेयर डालें।इसकी हरवेस्टिंग 45 से 60 दिन के बीच कर ली जाती है। मतलब यह कि उखाड़ कर बेचने के लिए टोटल 15 दिन का समय मिलता है।


  • मटर (Peas): मटर की खेती भी ठंडे में की जा सकती है और यह भारत में बड़े पैमाने पर उत्पादन की जाती है।इस अक्टूबर से नवंबर तक बो सकते हैं ।इसे कतार से  कतार 30 सेमी और पौधे से पौधा 15 सेमी की दूरी पर लगाना चाहिए। इसमें अधिक सिंचाई की जरूरत नहीं पड़ती है ,बुवाई के एक माह बाद एक या दो सिंचाई कर सकते हैं।इंडियन क्यूज़ीन में बहुत सारी वेजिटेबल रेसिपीज मटर से संबंधित है जैसे मटर पनीर।इसलिए सीजन में इसकी काफी डिमांड रहती है।


  • सरसों का साग (Mustard Greens): सरसों की पत्तियाँ भी जाड़े में उगाई जा सकती हैं और यह भारतीय रसोई में बड़े पसंद की जाती हैं।देहात में इसका कोई आर्थिक मूल्य नहीं है।सामान्य रूप से कोई भी किसी के खेत से बथुआ के साथ सरसों के घने पौधों में से कमजोर पौधों को चुनकर उखाड़ लेता हैकिंतु शहरों में सरसों की साग एक फैशन है और फैशन के लिए भुगतान करना पड़ता है। एक मुट्ठी सरसों की साग उतने ही पालक के मुकाबले महँगी  है।इसलिए शहर से10 - 15 किलोमीटर दूरी के देहात में यत्र- तत्र बाकायदा सरसों के साग की खेती होने लगी है।अगर आपके खेत शहर से 20 किलोमीटर के रेंज में है तो सरसों की खेती करकेऔर साग बेचकरअच्छा पैसा कमा सकते हैं।


  • पालक (Spinach): पालक भी जाड़े में उगाई जा सकती है ।यह स्वास्थ्य के लिए भी फायदेमंद होती है।इसकी खेती के लिए एक अलग आर्टिकल हमारे वेबसाइट परउपलब्ध है ।यहाँ देखें।


  • चना (Gram) cicer arietinum : चने की साग और हरी फली बहुत ही डिमांडिंग आइटम है। अच्छे दाम मिलते हैं।आमतौर पर जहां चने की खेती नहीं भी होती है वहां बाजार में मिलने वाले चने को भिगोकर अंकुरित कर लें और नमीयुक्त भुरभुरी मिट्टी में बुवाई कर दें।उगाने के बाद समय-समय पर आवश्यकता अनुसार सिंचाई करते रहे।पौधे10 से 15 सेमी के हो जाएं तो साग के लिए कटिंग कर सकते हैं। यदि फली प्राप्त करना है तो कटिंग ना करें। हरी मटर के मुकाबले हरा चना कई गुना अधिक महंगा बिकता है। 


  • टमाटर (Tomato): टमाटर की खेती अब भारत के विभिन्न हिस्सों में सालों भर होती है मगर मैदानी क्षेत्रों में बरसात को छोड़ कर सर्दी और गर्मी में इसे उगा सकते हैं।सितंबर से अक्टूबर तक टमाटर के बीज़ नर्सरी में बोए जा सकते हैं और तैयार पौधों को खेत में अक्टूबर से नवंबर तक 45*45 सेमी दूरी पर प्लांट कर सकते हैं।स्थानीय बीज़ दुकानों से इसके बीज़ प्राप्त किये जा सकते हैं।यदि कुछ डिफरेंट करना है तो यहां दिए गए लिंक से बीज़ ले सकते हैं। 


  • सलाद (Lettuce): यह भी एक विदेशी पत्तेदार सब्जी है जिसका उपयोग सलाद,बर्गर,सैंडविच इत्यादि में होता है।खाने के शौकीन इसके लिए अच्छा मूल्य दे सकते हैं। इसे खेतों,किचन गार्डन अथवा गमले में भी लगाया जा सकता है।स्थानीय स्तर पर इसके बीज  उपलब्ध न हो तो यहां से लें













  • शलजम (Turnip): यह एक प्रचलित सब्जी है जिसे हल्की दोमट मिट्टी में आसानी से उगाया जा सकता है और इसमें लागत भी अपेक्षाकृत कम आती है।अतः इसे लगाना फायदे का सौदा हो सकता है।मध्य अक्टूबर से जनवरी तक इसे बोया जा सकता है।खाद और उर्वरक मूली के समान ही उपयोग करें।डेढ़ से 2 किलो बीज प्रति हेक्टेयर लगता है।क्यारियां 30 सेमी की दूरी पर और इनमें बीज 20 सेमी अंतर से लगाए ।बुवाई के10 दिन बाद से सिंचाई आरंभ कर दें ; दो सिंचाईयों के बीच मृदा एवं स्थानीय वातावरण के अनुरूप 10 से 15 दिन काअंतराल रखें और फसल-कटाई के पहले तक कुल मिलाकर तीन-चार सिंचाईकर सकते हैं।




  • पत्ता गोभी (Cabbage): आजकल पत्ता गोभी सालों भर उपलब्ध रहता है किंतु जाड़े के दिनों में इसे स्वाभाविक रूप से उगाया जा सकता है।यही इसका असली सीजन है। फूलगोभी की तरह ही इसकी भी खेती में कुछ अतिरिक्त देखभाल और निवेश जरूरी होता है।मुख्य फसल और लेट वैरायटी के लिए पौधशाला में बीज़ डालने का समय पूरा अक्टूबर महीना है तथा तैयार बिचड़े को खेत में लगाने का समय नवंबर से मध्य दिसंबर तक होता है।सामान्य ग्रीन पत्तागोभी लगानी है तो स्थानीय बीज भंडारों से लें और यदि लाल या बैंगनी रंग की पत्तागोभी उगानी है तो यहां से ले। चीनी पत्ता गोभी यानी बोक चोय भी लगा सकते हैं।


  • गांठ गोबी (lump cabbage/Kohlrabi): कम लागत अधिक उपजवाली सब्जियों में इसका एक प्रमुख स्थान है।फूलगोभी के विपरीत इसमें अधिक निवेश और देखभाल की जरूरत नहीं होती।यह बहुत पौष्टिक और  स्वास्थ्याप्रद सब्जी है जिसका बाजार मूल्य सामान्यतः फूलगोभी से अधिक ही होता है।इसके सीड्स स्थानीय स्तर पर ना मिले तो यहां से प्राप्त करें। 

यदि आप किसान नहीं हैं और बिना खुद की खेती किए भी प्रॉफिट कमाना चाहते हैं, तो आप स्थानीय किसानों से सीधे उत्पादन खरीद सकते हैं और इसे बाजार में बेच सकते हैं। सही विपणन नेटवर्क बनाने से आप अच्छा प्रॉफिट कमा सकते हैं।


Celery in Hindi

सेलरी यानि अजमोद(Apium graveolens) भूमध्यसागरीय और मध्य पूर्व क्षेत्रों का मूल निवासी है। प्राचीन ग्रीस और रोम में इसके उपयोग का इतिहास मिलत...