कोरोना मरीज की देखभाल होम आइसोलेशन में कैसे करें



 पिछले आलेख में आपने जाना कि होम आइसोलेशन का पालन करते हुए घर में किस प्रकार रहे। रहन-सहन,संयम-नियम,आहार और मानसिकता के संदर्भ में यथा सम्भव संक्षिप्त व सटीक विश्लेषण प्रस्तुत किया गया। दवाओं के दुष्प्रभाव और उनके सेवन से बढने वाली मृत्यु दर को देखते हुए इस नये आलेख के सृजन की आवश्यकता महसूस हुई। 

■ यद्यपि विभिन्न प्रान्तों की सरकारें संक्रमण दर में गिरावट के आंकड़े पेश कर रही हैं जैसे बिहार में मात्र 3.11%  बताया गया है तथापि वास्तविक स्थिति कुछ और ही है। इसीलिए लाकडाऊन बढाने की चर्चा सत्ता के गलियारों में चल रही है। दूसरी तरफ म्यूकर माइकोसिस (ब्लैक फंगस) को भी 22 मई को महामारी अधिनियम 1897 के तहत पैन्डेमिक घोषित कर दिया गया है। इसके मामले न केवल शहरों में बल्कि गावों में भी समान रूप से उजागर हो रहे हैं। अब इसकी मानिटरिंग एकीकृत रोग निगरानी कार्यक्रम ( ISDP) द्वारा की जायेगी। 

■ इसी क्रम में एक दूसरा कोरोना follow up रोग उभरने लगा है,जिसे व्हाइट फंगस कहा जा रहा है। इसका भी मूल कारण कमजोर इम्यूनिटी या कोरोना से कमजोर हुई इम्यूनिटी बताया गया है। वास्तव में यह एस्पर्जिलस जीनस के सैकड़ों फफून्दो(moulds) में से एक का संक्रमण है। डाक्टर लोग इस रोग को एस्पर्जिलोसिस भी कह रहे हैं और कम घातक बताते है। इसके लक्षणों में सबसे प्रमुख है शरीर, जीभ,मुँह पर सफेद चकत्ते उभरना।ब्लैक फंगस जहाँ शरीर के अंदरूनी हिस्से को रुग्ण करता है वहीं व्हाइट फंगस सामान्यतः शरीर के बाहरी हिस्से को प्रभावित करता है। ब्लैक फंगस के इलाज में सर्जरी की आवश्यकता पड सकती है मगर व्हाइट फंगस के इलाज में सर्जरी की आवश्यकता नहीं पड़ती। 

■ एक रोचक तथ्य : संसार के कुल साइट्रिक एसिड उत्पादन का 99% हिस्सा केवल एस्पर्जिलस नाइजर नामक फंगस के द्वारा होता है। केवल 1% उत्पादन नींबू और नींबू वर्गीय(citrus) फलों से होता है। 

■ एक कटु सत्य : आज जो भी महामारी इत्यादि फैल रही है वह मनुष्य द्वारा प्रकृति के साथ की जाने वाली स्वार्थपूर्ण छेडछाड का नतीजा है। 

■ कोरोना सीज़न-1यानि वर्ष 2020 में सोशल मीडिया और व्हाट्सऐप यूनिवर्सिटी के लाइफ टाईम स्टूडेंट्स द्वारा वायरल तथाकथित प्रतिरोधक या होम्योपैथिक वैक्सीन आर्सेनिक था। यह सीज़न-2 में भी वायरल है। यह सब देखकर स्वर्गीय हैनीमैन साहब की आत्मा जरूर रो रही होगी। यह एक गलत सलाह है ।इसके चक्कर में न पड़ें। 

■  होम आइसोलेशन का पालन करते हुए भी स्वच्छता का ध्यान रखें। कमरा, कपड़े, शरीर और खाना-पानी की स्वच्छता का विशेष रूप से ख्याल रखा जाना चाहिए। 

■ कोरोना सीज़न-2 में एस्पिडोस्पर्मा-Q का प्रचार चल रहा है। लोग 60-60 मिली की 4-4,5-5 शीशियाँ खरीद कर स्टाक कर रहे हैं। कालाबाजारी हो रही है,जिस प्रकार ऑक्सीजन सिलेंडर की होती है। दरअसल जिस कोरोना रोगी को सांस लेने में तकलीफ हो,ऑक्सीजन लेवल कम हो गया हो और तत्काल ऑक्सीजन सिलेंडर उपलब्ध न हो तो एस्पिडोस्पर्मा के सेवन से फायदा होता है। यह सांस में खींची गई हवा में से अपनी जरूरत के अनुसार ऑक्सीजन अवशोषित करने की क्षमता को बढ़ाने का काम करती है। इससे रक्त में ऑक्सीजन की मात्रा बढ़ जाती है और रोगी का हाँफना व सांस के लिए छटपटाना बंद हो जाता है। यह एक प्राण रक्षक औषधि है, स्थायी समाधान नहीं। स्थायी समाधान पाना है तो योग्य होम्योपैथ से सम्पर्क कर सकते हैं। 

■ एलोपैथिक पद्धति में अबतक कोरोना या कोविड19 की कोई सटीक (appropriate) दवा नहीं है। यह एक अकाट्य सत्य है। जो कुछ भी इलाज अस्पतालों में किया जा रहा है वह रोग के बजाय अलग-अलग लक्षणों का इलाज है। नतीजा लाखों रुपये खर्च करने के बाद भी जिन्दगी से हाथ धो लेना।हम 2020 से ही रैमडेसीवीर जैसी दवाओं के निरर्थक प्रयोग और जानलेवा प्रभाव के बारे में लोगों को आगाह करते रहे हैं। देर से ही सही बिहार सरकार की आँखे खुली तो सही। पटना के कुछ बडे अस्पतालों की शिकायत पर सरकार ने रैमडेसीवीर दवा की जाँच के आदेश दे दिए हैं।




ऐसी ही सच्चाई बयां करने के बाद अगले ही दिन रामदेव जी को बयान वापस लेना पड़ा है। सुना है सरकार में  कोई मंत्री हैं डाक्टर हरसबरधन,उन्हें घोर आपत्ति है कि एलोपैथी की बेइज्जती हो गई। अरे भाई रोग तो लक्षण समूह से भी गहरी और उँची चीज है। दम है तो रोग का इलाज ढूँढो फिर अधिकारपूर्वक रोगी को घेर कर रखना। लक्षणों के अनुसार ही चिकित्सा करनी है तो क्या होम्योपैथी खराब है। यह तो सम्यक् लक्षणों के आधार पर चयनित दवा से आरोग्य करती है। 

■ याद रखें : 96°F - 98°F शारीरिक तापमान को बुखार नहीं समझा जाता है। यह नार्मल ताप है। 99°F से 100°F के  बीच हल्का ज्वर माना जाता है। इस स्थिति में डाक्टर लोग दिन में 2-3 बार पेरासिटामोल खिला रहे हैं। इस प्रिस्क्रीप्शन को हाई फीवर के लिए बचा कर रखिये, अगर जीवित रहने की चाह है। विश्वास कीजिए नये अनुसंधान कुछ ही दिनों में मेरी सलाह की पुष्टि करेंगे। 

■ अब हम चर्चा करेंगे उन होमियोपैथिक दवाओं की जो सेफ हैं। कोरोना मरीजों के यथार्थ लक्षण समुच्चय से सम्यक् रूप से मेल खाने वाली इन दवाओं का प्रयोग कर सफल चिकित्सा की गई है। 


(1) ब्रायोनिया एल्बा-30 : एक रिसर्च प्रोजेक्ट के तहत आगरा के डाक्टर प्रदीप गुप्ता ने 50 कोरोना पाजिटिव रोगियों को उनके common symptoms के आधार पर  केवल ब्रायोनिया देकर 3-5 दिन में चंगा कर दिया। मगर जरूरी नहीं कि हर रोगी इसी दवा से ठीक हो जाए। परिवर्तनशील लक्षणों के अनुसार अन्य दवाओं की भी जरूरत पड़ सकती है। बुखार आने से पहले नासा-रंध्र शुष्क लगे,छींक आये, गले में खराश या दर्द हो, फिर धीरे-धीरे शरीर का ताप बढ़े,खुली हवा की चाह,हरकत से तकलीफ बढ़े और विश्राम से घटे तो ब्रायोनिया एल्बा की कुछ खुराकें देकर देखें। यह रोग को शान्त कर शरीर को राहत प्रदान करेगी। 

(2) बेलाडोना-30 : इसका प्रयोग तब करें जब आँखे  लाल,सिरदर्द, आँखों से पानी आना,तेज बुखार, जलन,मुँह-गला सूखने पर पानी पीने से घृणा, प्रकाश-शोर-स्पर्श से घृणा, सूखी खाँसी, डिसेन्ट्री इत्यादि लक्षणों का समूह मिले।4-4 घंटे पर एक बूँद दे सकते हैं। 



(3) इपिकाक-30 : उल्टियाँ, जी मिचलाना, सिरदर्द, बुखार, जीभ लाल या साफ,फेफड़ों में बलगम जमा हो और न निकलता हो,सुखी खाँसी हो तब इपिकाक-30 सुबह-शाम दो-तीन दिन तक सेवन करायें। 

(4) मैग्नीशिया म्योर-6 : मुँह-गला सूखता हो,नाक बंद या पनीला स्राव,गंधलोप, स्वादलोप, जुकाम के जैसे अन्य लक्षण, श्वास लेने में परेशानी, मुँह से सांस लेना पडता हो,भूख कम या बिलकुल न लगे,सूखी खाँसी, रात में लक्षण वृद्धि, छाती में दर्द, जलन,पीठ-नितम्बों और बाहों में अंदर की तरफ खीचने जैसा दर्द हो तो मैग म्यूर-6 हर 4 घंटे पर सेवन करायें। शर्तिया लाभ होगा। इसके अलावा भी बहुत सी दवाएं हैं जो लक्षणों के अनुसार अनुभवी चिकित्सकों द्वारा प्रयुक्त की जा सकतीं हैं। 

क्या करें जब कोरोना संक्रमित हो जायें

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0️⃣जब कोरोना हो जाए तो होम आइसोलेशन का पालन करते हुए कैसे रहे,इस विषय पर काफी लेख और वीडियो कंटेंट इन्टरनेट और सोशल मीडिया पर उपलब्ध हैं, मगर उचित आहार-विहार,व्यवहार तथा दिमागी सोंच की दिशा-दशा के संबंध में सही मार्गदर्शन करने वाली सामग्री का सर्वथा अभाव है। अतः हम यहाँ उन्हीं अछूते किन्तु अति आवश्यक विन्दुओं पर फोकस करेंगे जो व्यावहारिक हैं और बेहतर परिणाम दे सकते हैं। 

1️⃣   कैसे पहचाने कि कोरोना संक्रमित हो गये हैं?                ■■ आँखे हल्की लाल,उनसे पानी आना,सिरदर्द, बुखार, कमजोरी, पीठ-कमर-नितम्बों में दर्द, नाक के सबसे अंदरूनी हिस्से में शुष्कता, भूख का अभाव,गंधलोप,स्वादलोप, जी मिचलाना, पेट में ऐंठन, दर्द, डायरिया/डिसेन्ट्री,अन्य गैस्ट्रो-इन्टेस्टीनल दिक्कतें इत्यादि लक्षण हो तो समझ जायें कि आप कोरोना पीड़ित हैं। विश्वास नहीं तो रैपिड टेस्ट करवा कर देख लें। यह टेस्ट आपके नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र पर मुफ्त उपलब्ध है। यह जाँच लगभग 80% विश्वसनीय है। लक्षण हो और टेस्ट रिपोर्टें निगेटिव आये तो भी खुशफहमी न पाले बल्कि समझ जायें कि अब खुद को घर के एक कोने में समेट लेने का समय आ गया है। 

2️⃣ कोरोना पाजिटिव कन्फ़र्म हो जाएँ तो क्या करें?

 ■■ याद रहे शरीर को पूर्ण निष्क्रियता से बचाएँ। साफ-सफाई पर ध्यान दें। रोज स्नान करें। कमरे में कुछ धुप आती है तो बहुत अच्छी बात है। गरमी,नमी और अंधेरे से फंगस की उत्पत्ति और वृद्धि होती है। (कोरोना के साथ अब ब्लैक फंगस संक्रमण के द्वारा म्यूकर-माइकोसिस नामक जानलेवा फौलोअप बीमारी भी हो रही है)   



                                               टेस्ट या बिना टेस्ट जब कंफर्म हो जाए कि आप कोरोना पाजिटिव हैं तो पहले दिन ठोस आहार छोड़ दें। दो लीटर से कुछ अधिक विभिन्न ताजे फलों के रस जिसमें नारियल पानी (डाभ),मुसम्बी,नारंगी शामिल हैं अलग-अलग व्यवस्थित कर लें। दिन भर में पूरा जूस पी जायें। दूसरे दिन भी ऐसा ही करें थोड़े परिवर्तन के साथ। आधा लीटर जूस कम कर खीरा और सेव को शामिल करें। तीसरे दिन फ्रूट सलाद या फल की मात्रा बढा लें। यहाँ सलाद से हमारा मतलब केवल फल-सब्जियों के स्लाइस्ड मिक्स से  है। प्याज, हरी मिर्च, सलाद क्रीम,toppings इत्यादि का प्रयोग नहीं करना है । खीरा के साथ नींबू का रस उपयोग किया जाना जरूरी है। काजू,पिस्ता,बादाम,अखरोट इत्यादि ड्राई फ्रूट्स के बारे में तो सोचें भी नहीं। चौथे दिन से धीरे-धीरे सुपाच्य  हल्के ठोस आहार की दिशा में बढ़े। इसमें बार्ली,,दलिया, मूँग दाल +चावल की खिचड़ी को शामिल कर सकते हैं। मगर मुसम्बी, खीरा,नींबू, ताजे फलों का सेवन जारी रखें। आप जल्द ही स्वस्थ्य हो जायेंगे। वो भी बिना किसी दवा के!अगर दवा खाने की तलब परेशान करे तो सुबह शाम चुटकी भर गिलोय चूर्ण शहद या मिस्री के साथ ले सकते हैं अथवा टीनोस्पोरा कार्डिफोलिया मदर टिन्कचर नामक होमियोपैथिक दवा ले सकते हैं। पारासेेटामोल का उपयोग केवल तभी करें जब बुखार 100° फारेनहाइट से बढने लगे ।लाइसेंसधारी मौत के सौदागरों के चंगुल में फंसे तो भैया उपर का टिकट रिजर्व समझो।जेब में पैसा है, दिल में मौत का खौफ है तो अस्पताल जरूर जाना चाहोगे। हमने तो इन्सानी फर्ज समझ कर सच्चाई बयां करी,बाकी आपकी मर्जी। 

3️⃣ मनःस्थिति 

 मेरे जान-पहचान के अनेक लोग जिन्हें कोरोना वायरस रूपी काल अपने गाल में समा चुका है पहले से किसी गंभीर बीमारी से पीड़ित नहीं थे।किन्तु कोरोना के हल्के प्रभाव से ही दुनिया छोड़ गए। उनकी समस्या जिस्मानी कम और दिमागी ज्यादा थी।मौत का डर,घबड़ाहट और टीवी-सोशल मीडिया पर चल रहे भौकाल से अत्यधिक प्रभावित होना ही उनकी जान का दुश्मन बन गया। शायद आप ने भी देखा-सुना होगा कि कई बार पानी के विषहीन ढोरवा सांप के काटने पर भी लोग मर जाते हैं। वे सांप के ज़हर से नहीं, अपनी मानसिकता की वजह से मरते हैं। वही कंडीशन्स आज कोरोना से होने वाली एक तिहाई मौतों के संदर्भ में लागू होती है। 

4️⃣ जिन्दा बचने के उपाय 

■ हौसला बुलंद रखें। 

■ बिल्कुल न घबराये 

■ सोचें यह एक प्रकार का जुकाम है, मेरा कुछ नहीं बिगड़ा सकता। 

■ शरीर को राहत देने वाले आहार-विहार,नियम-संयम का पालन करते रहें। 

 ■ निम्नलिखित मंत्र का जाप दिन में 24 बार करते हुए अपनी भावनाओं को संयत रखें-  " जो डर गया समझो मर गया "


 


Corona virus update in india


 If we talk about the whole world, then the spread of Corona / Covid-19 and the transition did not see much effect in 2021 as compared to the way it happened in 2020. But the situation in India was comparatively opposite. Here the new strain of Kovid 19 virus is spreading and infecting at a very fast pace. Taking a rigorous examination of the immune system of Indians, it has started taking more lives than last year.So the question arises that-..

■ Has the average Indian's immunity decreased in a year? 

■ Or has the corona virus increased its ability to change its formation and causing illness?

 Research so far suggests that our immunity stands firmly in its place and is positioned to deal with other diseases.It is well known that the most important property of the corona virus is its ability to change form. This uncommon power of adaptation is the real secret of its immortality. For this reason, the development of an accurate and effective vaccine is not possible. Today, the vaccines of Kovid 19, which have been made available by various pharma companies, research institutes of universities and state research institutes, are being used almost all over the world. But even after vaccination, there are complaints of being corona positive.On this, doctors and scientists say that due to the vaccine, the disease does not suffer in its extreme form. But this is just an attempt to hide the failures.

* In Corona Season-1, it is said that wash hands frequently with soap, also use the sanitizer unnecessarily. Two yards distance and mask is necessary. 

My challenge is for those so-called doctors and scientists who are promoting unscientific things. They should prove that the corona virus is destroyed by the sanitizer or dies with soap. 

* In Corona season-2, it is said that there is a shortage of oxygen cylinders and Ramdesivir medicine, otherwise it would have saved everyone.

First of all, it should be investigated whether the death toll due to the use of ramadasivir medicine is large or that of the survivors.



🗣 On the other hand, the chaos created for oxygen also needs to be discussed on the basis of facts. To measure the lack of oxygen in the body, a gadget is being sold in the market and its name is Oximeter. The gadget holds the finger and tells the oxygen level. Isn't it an amazing gadget? How much oxygen is there in the blood, it is telling from outside the body without any chemical analysis. Brother! Amazing magic!

⁉️ The lungs of humans are made in such a way that instead of pure oxygen, the atmospheric gaseous mixture ie from the air absorbs oxygen according to their needs. But in corona patients this ability often decreases and they feel restless for respiration. In this situation, the need for oxygen cylinders is felt for artificial respiration.There is also another option in the market - 'Oxygen concentrator'. It is powered by electricity and greatly increases oxygen concentration by changing the consistency of 78% nitrogen: 21% oxygen present in the air. Middle and high income people who can afford an oximeter and oxygen concentrator are spending money easily out of fear of life. The fear of someone's death has become a bargain for someone else.

The news is coming that 1 out of every 8 people in the Corona investigation is leaving positive. While more than 50% of the infected are recovering within 10-15 days by following self-quarantine at home, they do not find it necessary to investigate nor the so-called treatment. Tests conducted in Britain have shown that the infection is now spreading through air as well as fingering. This is a very dangerous thing. No one is safe anywhere.According to the data of infection rate which is now filtering in the month of May, Goa has the highest 48%, Haryana 37%, West Bengal 33%, Delhi 32%, Puducherry 30%, MP-Chhattisgarh-Rajasthan 29%, Karnataka- Chandigarh has a high infection rate of 26%. While the average national infection rate is 21%. It is considered controllable if the rate is 5% according to WHO standards. The most notable fact is that about 50% of all corona infected patients around the world are in India alone.India alone accounts for 25% of Corona deaths worldwide in the last one week. On May 6, 2021, 414182 new cases and 3920 deaths were recorded across the country.

👌 Everything is not going wrong, some rays of hope are also sizzling. The Bihar government is carrying out emergency restoration in hospitals on the agreement of doctors, nurses, lab technicians, ward boys, etc., while in Russia a single dose vaccine has started to be used. It is named Sputnik Light. It will also be produced in India. Price is less than $ 10 and can be stored at 2 ° - 8 ° C heat. Trials have been found to be 79% effective.A German company by the name of Curevac has developed an RNA-based vaccine that can be stored in common freezes.

🚫The role of the World Health Organization was questionable yesterday, even today. Http://nbt.in/hqfDQY Its so-called standards need not be overrated. Take care of fitness, maintain physical activity, do a little bit of yoga, keep eating fresh juicy fruits. The most important thing - "the one who is scared, understand he is dead"(Jo dar gaya samjho mar  gaya!). This dialogue of the film Sholay is the biggest mantra of war against Corona.

कोरोना वायरस अपडेट इन इण्डिया


 यदि बात करें पूरी दुनिया की तो कोरोना/ कोविड19 का प्रसार और संक्रमण 2020 में जिस तरह से हुआ उसके मुकाबले 2021 में उतना ज्यादा प्रभाव देखने को नहीं मिला। परन्तु भारत में स्थिति तुलनात्मक रूप से ठीक विपरीत रही।यहां कोविड 19 वायरस के नये स्ट्रेन का प्रसार और संक्रमण अत्यंत तीव्र गति से हो रहा है । भारतीयों के इम्यून सिस्टम की कड़ी परीक्षा लेते हुए यह पिछले साल की तुलना में अधिक जानें लेने लगा है। तो सवाल उठता है कि--


■ क्या एक साल में औसत भारतीय की इम्यूनिटी कम  हो गई है?

■ या फिर कोरोना वायरस ने रूप बदलते हुए बीमार करने की ताक़त बढा ली है?

अब तक  हुए अनुसंधान बताते हैं कि हमारी इम्यूनिटी अपनी जगह पूरी मजबूती से सिर उठाए खड़ी है और अन्य रोगों से दो-दो हाथ करने के लिए तैनात है।

  यह बात तो सर्वविदित है कि कोरोना वायरस का सबसे मुख्य गुण है रूप बदलने की क्षमता। अनुकूलन की यह अपूर्व शक्ति इसकी अमरता का असली राज है। इसी कारण एक सटीक और कारगर वैक्सीन का विकास संभव नहीं हो पा रहा है। आज विभिन्न फ़ार्मा कम्पनियों,विश्वविद्यालयों की शोधशालाओ और राजकीय अनुसंधान संस्थानों द्वारा जो भी कोविड19 के  वैक्सीन उपलब्ध कराए गए हैं कमोबेश पूरी दुनियां में उपयोग किया जा रहा है। परन्तु टीकाकरण के बाद भी कोरोना पोजिटिव होने की शिकायते मिल रही हैं। इस पर डाँक्टर और वैज्ञानिक कहते हैं कि टीके की वजह से बीमारी अपने उग्र रूप में नही सताती है । मगर यह महज नाकामियों को छुपाने की कोशिश भर है। 

* कोरोना सीज़न -1 में कहा जाता है कि साबुन से बार-बार हाथ धोएं ,सैनेटाईजर का बेवजह भी इस्तेमाल करते रहे। दो गज दूरी,मास्क है जरूरी। 

  🗣मेरा चैलेंज है उन तथाकथित डाक्टरों-वैज्ञानिको के लिए जो अवैज्ञानिक बातों का प्रचार कररहे हैं। वे साबित करें कि सैनेटाईजर से कोरोना वायरस नष्ट हो जाते हैं या साबुन से मर जाते हैं। 

* कोरोना सीज़न-2 में कहा जाता है कि ऑक्सीजन सिलेंडर  और रैमडेसीवीर दवा की कमी है वरना सबको बचा लेते। 

🗣सबसे पहले तो इस बात की पडताल होनी चाहिए कि रैमडेसीवीर दवा के प्रयोग से मरने वालों की संख्या बड़ी है या बचने वालो की।

🗣 दूसरी तरफ ऑक्सीजन के लिए जो हाहाकार मचा हुआ है ,उस पर भी तथ्यों के आधार पर विवेचन किया जाना जरूरी है। शरीर में ऑक्सीजन की कमी मापने के लिए एक गैजेट बाज़ार में खूब बिक रहा है और इसका नाम है ऑक्सीमीटर।महज एक ऊँगली पकड़ कर वह ऑक्सीजन लेवल बता देता है। है ना कमाल का गैजेट?खून में कितना ऑक्सीजन है यह शरीर के बाहर से ही बिना किसी कैमिकल एनालिसिस के बता रहा है ।भई वाह! गजब का जादू है!

⁉️ मनुष्य के फेफड़े कुछ इस प्रकार बने हुए हैं कि शुद्ध ऑक्सीजन के बजाय वातावरणीय गैसीय मिश्रण अर्थात् हवा में से अपनी जरूरत के अनुसार ऑक्सीजन अवशोषित कर लेते हैं। परन्तु कोरोना मरीजों में अक्सर यह क्षमता घट जाती है और वे श्वसन के लिए बेचैनी महसूस करते हैं। इसी स्थिति में कृत्रिम श्वसन हेतु ऑक्सीजन  सिलेंडर की जरूरत महसूस हो रही है। बाज़ार में एक दूसरा विकल्प भी मौजूद है - 'ऑक्सीजन कंसेन्ट्रेटर'।यह बिजली से संचालित होता है और हवा में उपस्थित 78% नाइट्रोजन : 21% ऑक्सीजन की कंसिस्टेन्सी को बदल कर ऑक्सीजन की सान्द्रता बहुत ज्यादा कर देता है। मध्यम एवं उच्च आय वाले लोग जो ऑक्सीमीटर और ऑक्सीजन कंसेन्ट्रेटर अफोर्ड कर सकते हैं, वे जान के डर से पैसे आसानी से ख़र्च कर रहे हैं। किसी के मौत का खौफ किसी और के लिए फायदे का सौदा बन गया है। 

◾खबर आ रही है कि कोरोना जांच में हर 8 में से 1 व्यक्ति positive निकल रहा है। जबकि 50% से अधिक संक्रमित तो घर में ही सेल्फ क्वारेन्टाइन का पालन करते हुए 10-15 दिन में ठीक हो जा रहे हैं, उन्हें न तो जांच जरूरी लगता है और न तथाकथित इलाज़। ब्रिटेन में किये गये परीक्षणों से पता चला है कि अब यह संक्रमण छुआ-छूत के साथ साथ हवा के माध्यम से भी फैल रहा है। यह बेहद खतरनाक बात है। क़ोई कहीं भी सुरक्षित नहीं है। संक्रमण दर के आंकड़े जो अब मई माह में छन कर आ रहे हैं उनके अनुसार गोवा में सर्वाधिक 48%,हरियाणा में 37%,पश्चिम बंगाल 33%,दिल्ली 32%,पुडुचेरी 30%,एमपी-छत्तीसगढ़-राजस्थान 29%,कर्नाटक-चंडीगढ़ 26% की उच्च संक्रमण दर है। जबकि औसत राष्ट्रीय संक्रमण दर 21% है। डब्लूएचओ के मानकों के अनुसार यह दर 5% हो तो नियंत्रण योग्य माना जाता है। सबसे उल्लेखनीय तथ्य तो यह है कि दुनिया भर के सभी कोरोना संक्रमित मरीजों में से लगभग 50 फ़ीसदी अकेले भारत में है। पिछले एक सप्ताह में पूरी दुनिया में कोरोना से होने वाली मौतों का 25% हिस्सा केवल भारत का है। 6 मई 2021 को देशभर में 414182 नये मामले और 3920 मौतें दर्ज की गई। 

👌 सब कुछ गलत ही नहीं हो रहा है, कुछ आशा की किरणें भी छन-छन कर आ रही हैं। बिहार सरकार अस्पतालों में डाक्टर,नर्स,लैब टेक्नीशियन, वार्ड ब्वाय इत्यादि की संविद पर आपात बहाली कर रही है ।वहीं रूस में एक खुराक वाले टीके का उपयोग शुरू हो गया है। इसका नाम स्पुतनिक लाइट रखा गया है। भारत में भी इसका उत्पादन होगा। कीमत $10 से कम है और 2° - 8° सेल्सियस ताप पर भंडारित की जा सकती है। परीक्षणों में 79% प्रभावी पाया गया है। क्योरवैक के नाम से एक जर्मन कंपनी ने आर एन ए आधारित वैक्सीन तैयार की है जिसे सामान्य फ्रीज़ में रखा जा सकता है। 

🚫वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन की भूमिका कल भी संदिग्ध थी,आज भी है।http://nbt.in/hqfDQY इसके तथाकथित मानकों को ज्यादा भाव देने की जरूरत नहीं है। फिटनेस का ध्यान रखें, शारीरिक सक्रियता बनाए रखें, थोड़ा बहुत योगाभ्यास जरूर करें,ताजे रसदार फलों का सेवन करते रहें। सबसे जरूरी बात - "जो डर गया, समझो मर गया"। फिल्म शोले का यह संवाद कोरोना के खिलाफ जंग का सबसे बड़ा मंत्र है। 

Celery in Hindi

सेलरी यानि अजमोद(Apium graveolens) भूमध्यसागरीय और मध्य पूर्व क्षेत्रों का मूल निवासी है। प्राचीन ग्रीस और रोम में इसके उपयोग का इतिहास मिलत...