कोरोना वायरस अपडेट इन इण्डिया


 यदि बात करें पूरी दुनिया की तो कोरोना/ कोविड19 का प्रसार और संक्रमण 2020 में जिस तरह से हुआ उसके मुकाबले 2021 में उतना ज्यादा प्रभाव देखने को नहीं मिला। परन्तु भारत में स्थिति तुलनात्मक रूप से ठीक विपरीत रही।यहां कोविड 19 वायरस के नये स्ट्रेन का प्रसार और संक्रमण अत्यंत तीव्र गति से हो रहा है । भारतीयों के इम्यून सिस्टम की कड़ी परीक्षा लेते हुए यह पिछले साल की तुलना में अधिक जानें लेने लगा है। तो सवाल उठता है कि--


■ क्या एक साल में औसत भारतीय की इम्यूनिटी कम  हो गई है?

■ या फिर कोरोना वायरस ने रूप बदलते हुए बीमार करने की ताक़त बढा ली है?

अब तक  हुए अनुसंधान बताते हैं कि हमारी इम्यूनिटी अपनी जगह पूरी मजबूती से सिर उठाए खड़ी है और अन्य रोगों से दो-दो हाथ करने के लिए तैनात है।

  यह बात तो सर्वविदित है कि कोरोना वायरस का सबसे मुख्य गुण है रूप बदलने की क्षमता। अनुकूलन की यह अपूर्व शक्ति इसकी अमरता का असली राज है। इसी कारण एक सटीक और कारगर वैक्सीन का विकास संभव नहीं हो पा रहा है। आज विभिन्न फ़ार्मा कम्पनियों,विश्वविद्यालयों की शोधशालाओ और राजकीय अनुसंधान संस्थानों द्वारा जो भी कोविड19 के  वैक्सीन उपलब्ध कराए गए हैं कमोबेश पूरी दुनियां में उपयोग किया जा रहा है। परन्तु टीकाकरण के बाद भी कोरोना पोजिटिव होने की शिकायते मिल रही हैं। इस पर डाँक्टर और वैज्ञानिक कहते हैं कि टीके की वजह से बीमारी अपने उग्र रूप में नही सताती है । मगर यह महज नाकामियों को छुपाने की कोशिश भर है। 

* कोरोना सीज़न -1 में कहा जाता है कि साबुन से बार-बार हाथ धोएं ,सैनेटाईजर का बेवजह भी इस्तेमाल करते रहे। दो गज दूरी,मास्क है जरूरी। 

  🗣मेरा चैलेंज है उन तथाकथित डाक्टरों-वैज्ञानिको के लिए जो अवैज्ञानिक बातों का प्रचार कररहे हैं। वे साबित करें कि सैनेटाईजर से कोरोना वायरस नष्ट हो जाते हैं या साबुन से मर जाते हैं। 

* कोरोना सीज़न-2 में कहा जाता है कि ऑक्सीजन सिलेंडर  और रैमडेसीवीर दवा की कमी है वरना सबको बचा लेते। 

🗣सबसे पहले तो इस बात की पडताल होनी चाहिए कि रैमडेसीवीर दवा के प्रयोग से मरने वालों की संख्या बड़ी है या बचने वालो की।

🗣 दूसरी तरफ ऑक्सीजन के लिए जो हाहाकार मचा हुआ है ,उस पर भी तथ्यों के आधार पर विवेचन किया जाना जरूरी है। शरीर में ऑक्सीजन की कमी मापने के लिए एक गैजेट बाज़ार में खूब बिक रहा है और इसका नाम है ऑक्सीमीटर।महज एक ऊँगली पकड़ कर वह ऑक्सीजन लेवल बता देता है। है ना कमाल का गैजेट?खून में कितना ऑक्सीजन है यह शरीर के बाहर से ही बिना किसी कैमिकल एनालिसिस के बता रहा है ।भई वाह! गजब का जादू है!

⁉️ मनुष्य के फेफड़े कुछ इस प्रकार बने हुए हैं कि शुद्ध ऑक्सीजन के बजाय वातावरणीय गैसीय मिश्रण अर्थात् हवा में से अपनी जरूरत के अनुसार ऑक्सीजन अवशोषित कर लेते हैं। परन्तु कोरोना मरीजों में अक्सर यह क्षमता घट जाती है और वे श्वसन के लिए बेचैनी महसूस करते हैं। इसी स्थिति में कृत्रिम श्वसन हेतु ऑक्सीजन  सिलेंडर की जरूरत महसूस हो रही है। बाज़ार में एक दूसरा विकल्प भी मौजूद है - 'ऑक्सीजन कंसेन्ट्रेटर'।यह बिजली से संचालित होता है और हवा में उपस्थित 78% नाइट्रोजन : 21% ऑक्सीजन की कंसिस्टेन्सी को बदल कर ऑक्सीजन की सान्द्रता बहुत ज्यादा कर देता है। मध्यम एवं उच्च आय वाले लोग जो ऑक्सीमीटर और ऑक्सीजन कंसेन्ट्रेटर अफोर्ड कर सकते हैं, वे जान के डर से पैसे आसानी से ख़र्च कर रहे हैं। किसी के मौत का खौफ किसी और के लिए फायदे का सौदा बन गया है। 

◾खबर आ रही है कि कोरोना जांच में हर 8 में से 1 व्यक्ति positive निकल रहा है। जबकि 50% से अधिक संक्रमित तो घर में ही सेल्फ क्वारेन्टाइन का पालन करते हुए 10-15 दिन में ठीक हो जा रहे हैं, उन्हें न तो जांच जरूरी लगता है और न तथाकथित इलाज़। ब्रिटेन में किये गये परीक्षणों से पता चला है कि अब यह संक्रमण छुआ-छूत के साथ साथ हवा के माध्यम से भी फैल रहा है। यह बेहद खतरनाक बात है। क़ोई कहीं भी सुरक्षित नहीं है। संक्रमण दर के आंकड़े जो अब मई माह में छन कर आ रहे हैं उनके अनुसार गोवा में सर्वाधिक 48%,हरियाणा में 37%,पश्चिम बंगाल 33%,दिल्ली 32%,पुडुचेरी 30%,एमपी-छत्तीसगढ़-राजस्थान 29%,कर्नाटक-चंडीगढ़ 26% की उच्च संक्रमण दर है। जबकि औसत राष्ट्रीय संक्रमण दर 21% है। डब्लूएचओ के मानकों के अनुसार यह दर 5% हो तो नियंत्रण योग्य माना जाता है। सबसे उल्लेखनीय तथ्य तो यह है कि दुनिया भर के सभी कोरोना संक्रमित मरीजों में से लगभग 50 फ़ीसदी अकेले भारत में है। पिछले एक सप्ताह में पूरी दुनिया में कोरोना से होने वाली मौतों का 25% हिस्सा केवल भारत का है। 6 मई 2021 को देशभर में 414182 नये मामले और 3920 मौतें दर्ज की गई। 

👌 सब कुछ गलत ही नहीं हो रहा है, कुछ आशा की किरणें भी छन-छन कर आ रही हैं। बिहार सरकार अस्पतालों में डाक्टर,नर्स,लैब टेक्नीशियन, वार्ड ब्वाय इत्यादि की संविद पर आपात बहाली कर रही है ।वहीं रूस में एक खुराक वाले टीके का उपयोग शुरू हो गया है। इसका नाम स्पुतनिक लाइट रखा गया है। भारत में भी इसका उत्पादन होगा। कीमत $10 से कम है और 2° - 8° सेल्सियस ताप पर भंडारित की जा सकती है। परीक्षणों में 79% प्रभावी पाया गया है। क्योरवैक के नाम से एक जर्मन कंपनी ने आर एन ए आधारित वैक्सीन तैयार की है जिसे सामान्य फ्रीज़ में रखा जा सकता है। 

🚫वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन की भूमिका कल भी संदिग्ध थी,आज भी है।http://nbt.in/hqfDQY इसके तथाकथित मानकों को ज्यादा भाव देने की जरूरत नहीं है। फिटनेस का ध्यान रखें, शारीरिक सक्रियता बनाए रखें, थोड़ा बहुत योगाभ्यास जरूर करें,ताजे रसदार फलों का सेवन करते रहें। सबसे जरूरी बात - "जो डर गया, समझो मर गया"। फिल्म शोले का यह संवाद कोरोना के खिलाफ जंग का सबसे बड़ा मंत्र है। 

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