बैंगन की उन्नत खेती


बैंगन (Brinjal) सोलेनेसी (Solanaceae) कुल का एक पौधा है जिसके फल भारत ही नही दुनियाभर में सब्ज़ी के तौर पर लोकप्रिय हैं।इसके कुल वैश्विक उत्पादन में अकेले भारत का योगदान 27% है,जबकि चीन शीर्ष पर है।

गुण(Qualities) :  यह शरीर में कोलेस्ट्राल घटाने में मददगार सिद्ध हुआ है।सुपाच्य है और स्वादिष्ट भी।हृदय रोग से बचाता है और उच्च रक्तचाप को नियंत्रित रखने में सहायक है।सब्जियों का राजा कहलाता है।

 दोष(Drawbacks) :  लोक प्रचलित मान्यता है कि बैंगन खाने से खुजली बढती है। मगर जिसे पहले से खुजली नही है उसे कोई फर्क नही पड़ता। 

चूंकी बैंगन हर मौसम में उपलब्ध रहता है तो जाहिर सी बात है कि इसे वर्ष में एक से अधिक बार रोपा जाता होगा। यह खरीफ, रबी और गरमा तीनो मौसम में रोपा जाता है।

खरीफ : जून-जुलाई में बीजाई कर जुलाई-अगस्त में रोपाई, यह मुख्य फसल है।जब नर्सरी में 5-7 इंच के पौधे हो जाए तब उखाड़ कर खेत में लगाएं।

● रबी : अक्टूबर में बीजाई और नवम्बर माह में रोपाई। 

● गरमा : फरवरी मध्य से मार्च तक बीजाई और मार्च-अप्रैल तक रोपाई। 

स्थानीय जलवायु की विशिष्टता के अनुरूप उपरोक्त समय से कुछ भिन्न शेड्यूल भी हो सकते हैं।

पौधशाला में बीज गिराकर बिचड़े तैयार करना उन्हीं किसानों के लिए उपयुक्त व व्यवहारिक है जो व्यवसायिक पैमाने पर बैंगन की खेती करना चाहते हैं, अन्यथा छोटे पैमाने पर, टेरेस गार्डन में या बैकयार्ड किचन गार्डन में रोपने के लिए तैयार बिचड़े खरीद लेना सुविधाजनक होता है।परन्तु मनपसंद प्रभेद के लिए स्वयं बीजाई कर पौधे तैयार करना श्रेष्ठ विधि है।

प्रचलित देशी किस्में : -- गुच्छेदार हरा,कचबचिया/सतपुतिया,गुच्छेदार सफेद इत्यादि। 

उन्नत किस्में : -- पूसा पर्पल लॉङ्ग (PPL),चाइनीज लॉन्ग पर्पल F-1,ब्रिंजल ब्लैक ब्यूटी,व्हाइट ऑब्लॉङ्ग राउंड, नीलम,राजेन्द्र बैंगन-1,राजेन्द्र बैंगन-2,पूसा क्रांति,पूसा अनमोल, पंत ऋतुराज, पंत सम्राट, कल्याणपुर टी-3,  US-1004 हाइब्रिड F-1 इत्यादि। इनमें से पूसा क्रांति और ब्लैक ब्यूटी गोल और वजनदार होते हैं।ये भर्ता/चोखा के लिए ज्यादा उपयुक्त होते हैं तथा बाजार में अपेक्षाकृत महँगे बिकते हैं।PPL,नीलम और राजेन्द्र बैंगन अधिक प्रचलन में हैं।चाइनीज मिर्च की तरह चाइनीज बैंगन भी लोकप्रिय हो रहा है।

खेत की तैयारी - पहली जुताई गहरी होनी चाहिए। जुताई से पहले ही 200 क्विंटल/हेक्टेयर की दर से कम्पोस्ट डाल दें।दूसरी जुताई रोपने से दो-तीन दिन पूर्व करें और अनुशंसित मात्रा में रासायनिक उर्वरक भी डाल दें। 

रोपने का तरीका : - गरमा बैंगन (फरवरी-मार्च) 60 सेमी ×45 सेमी के फॉर्मेट में रोपते हैं, जबकि मुख्य फसल (जून-जुलाई) 75 सेमी × 60 सेमी के फॉर्मेट में।प्रति थाला 6 इंच के दायरे में 2-3 बिचड़े लगाएं।ये तो हुई खेतों में बैंगन लगाने की विधि, अब हम शहरी और गार्डेनिंग का शौक रखने वाले पाठकों की रूचि का ध्यान रखते हुए टेरेस एवं लॉन गार्डेनिंग के तहत गमलों, ग्रो बैग्स या बेकार पड़े खाली प्लास्टिक के डिब्बों में बैंगन उपजाने की विधि जानेंगे। जो भी पॉट्स लें उनके बॉटम में जल निकासी के लिए छिद्र होने चाहिए। यदि नही हैं तो कर लें।ग्रो बैग्स जो आजकल चलन में हैं और बाजार या ई-कॉमर्स प्लेटफार्म्स पर उपलब्ध हैं, उनमें जल निकासी की समुचित व्यवस्था बनी होती है। पॉट्स के बॉटम में जो छिद्र हैं उन पर सीधे मिट्टी डालने के बजाए पहले टुटे हुए मिट्टी के बर्तन या खपरों के टुकड़े डालें ताकि मिट्टी से छिद्र बंद न हो। यदि पूरा पॉट केवल खेत या गार्डन की मिट्टी से भर देंगे तो अपेक्षित परिणाम प्राप्त नही होगा।सही बढवार के लिए मिट्टी,खाद और softening agents (मृदुकारक घटक) का उचित मिश्रण जरूरी है। यदि आप पहले से कोई उपयुक्त मिश्रण इस्तेमाल कर रहे हैं तो ठीक है अन्यथा गार्डन स्वाएल, कोको पिट और वर्मी कम्पोस्ट तीनो बराबर मात्रा में मिलाकर पॉट्स को भरें। पौधा रोपें और सिंचाई करें।रोपने से पहले जड़ों पर थीरम 75% पाउडर छिड़कें या बेवेस्टीन के 0.5%  घोल में कुछ देर डुबोकर रखें। 

अनुशंसित उर्वरक  : - प्रति हेक्टेयर 3-3.5 क्विंटल सिंगल सुपर फास्फेट, 1 क्विंटल म्यूरेट ऑफ पोटाश और 0.8 क्विंटल यूरिया अंतिम जुताई में दें।इतनी ही मात्रा यूरिया की रोपने के 30 वें और 60 वें दिन डालें।कम क्षेत्र में बैंगन की खेती करना हो तो इस प्रकार समझें : SSP 6-7 kg,MOP 2kg, यूरिया 1.6 kg प्रति कट्ठा।(10,000 वर्ग मीटर = 1 हेक्टेयर; लगभग 50 कट्ठा = 1 हेक्टेयर)

सिंचाई : - मुख्य फसल के लिए प्रायः सिंचाई की आवश्यकता नही पड़ती।नवम्बर से मई तक आवश्यकतानुसार सिंचाई कर सकते हैं।ध्यान रहे जड़ों के पास जल जमाव न हो।


खरपतवार नियंत्रण
: - रासायनिक विधि का प्रयोग न करें।पारंपरिक तरीका अपनाते हुए खुरपी-कुदाल से घास निकालें,मिट्टी भुरभुरी करें।50-60 दिन बाद दूसरी निराई के बाद कतार पर मिट्टी चढायें। बगल के चित्र को जूम कर देखें कि कैसा करना है।

कीट प्रबंधन : - बैंगन की फसल में फल छेदक और तना छेदक कीड़ा ज्यादा लगता है।यह अग्रस्थ कलिकाओं को नष्ट कर फलन को बाधित कर देता है।जो फुनगियां मुरझाई हुई दिखे उन्हें यथासंभव तोड़कर हटा दें और मालाथिऑन 50 EC 20ml दवा प्रति कट्ठा 10 लीटर पानी में घोल कर छिड़काव करें।इसके स्थान पर इंडोसल्फान 35 EC का भी प्रयोग कर सकते हैं।फुराडान 3जी दानेदार दवा 500 ग्राम प्रति कट्ठा की दर से पौधों के पास डालें।

स्पेशल टिप्स : अधिक उपज, शीघ्र फलन और गुणवत्ता वृद्धि के लिए समय-समय पर माईक्रो-न्यूट्रिएन्ट्स और हार्मोन का foliar spray(पर्णीय छिड़काव) कर सकते हैं।

उपज : उपरोक्त तरीके से खेती कर एक सीजन में 250 - 300 क्विंटल/हेक्टेयर उपज प्राप्त कर सकते हैं।

लागत एवं लाभ : वर्तमान दरों के सापेक्ष 1 हेक्टेयर बैंगन की खेती करने में 1 लाख रूपए खर्च होते हैं। कुल न्यूनतम उपज 250 क्विंटल मानें और थोक मूल्य दर 10/- प्रति किलोग्राम लें तो उत्पाद का कुल मूल्य 2,50,000/- ढाई लाख रूपए  बनता है।इस प्रकार 100-120 दिन में 1,50,000/- डेढ लाख रूपए शुद्ध लाभ प्राप्त होता है। 150% का लाभ कुछ कम है क्या?तुलना करें ओल की खेती

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